माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में
Friday, 1 April 2016
Kitna Dur Nikal Gye Riste Nibhate Nibate, Khud Ko Kho Diya Humne Apno Ko Pate Pate, Log Kahte Hai Dard Hai Mere Dil Me, Aur Hum Thak Gye Mus...
माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में
मेरे से तो ताश के पत्ते ही खुशनसीब है यारों,
बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है
मेरी खामोशियों में भी कोई फसाना ढुंढ लेती है,
बड़ी शातिर है ये दुनिया...
सताने का कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेती है!!!
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे…
Mausam ki misaal dun ya tumhari,
Koi puch betha hai badalna kisko kehte hain.